कुछ कविताएं
चट्टानी कब्रगाह पर प्रेम-कुटज खिले-तो-खिले कैसे
जिन्दगानी मुझसे
एक फासले पर तरस रही
मैं जिन्दगी को तड़प रहा
चलो जिस्म को
वफ़ा-ए-हद तक
मना भी लू
दिल है नादान
चटक ही जा रहा।
.......
जुबान बुजुर्ग
जिन्दगानी मुझसे
एक फासले पर तरस रही
मैं जिन्दगी को तड़प रहा
चलो जिस्म को
वफ़ा-ए-हद तक
मना भी लू
दिल है नादान
चटक ही जा रहा।
.......
कल्पवृक्ष जहाँ मिले
समझो अवसाद अवसान हुआ
समझो अवसाद अवसान हुआ
सूरजने प्रतिभा सौपी
चाँदने सौम्यता-सम्भार सौपा
चाँदने सौम्यता-सम्भार सौपा
........
जिधर भी देखु
इक आस बधती
कुछ देर ठहरु
इक मोह बधती
सजदे में झुकु
इक फूल खिलती
इक तितली उडती
इक आकाश बनता ..
इक तितली उडती
इक आकाश बनता ..
.........
दोनोंके दरमियाँ
कुछ सौहार्दके
फासले है
मिटा-दो
कुछ सौहार्दके
फासले है
मिटा-दो
मिलने दो
बेबाक
बेलौस
बे-झिझक
बेबाक
बेलौस
बे-झिझक
.........
मैं वर्षो से
एक ही
प्रश्न को
नए नए पैंतरो से
हल करने में
जुटा हूँ..
.........
कितना फ़ैल सकता था
कितना सिमट सा गया हूँ । ।
.........
चाहता हूँ मेरे आंसू गिरे
गिरे उसकी सुखी रोटी पर
स्वाद नमक का मिले उसे
आँखों के आंसू थिर जाये
होठो के कोर थिर-थिराए...
.......
रक्खा है
संजो कर
उनकी सारी
यादों को
न जाने कब
न जाने कब
वो मांग बैठे
संग बिताये
अंतरंग
पलों को
……
उम्र अभी-भी
कच्ची है;
जुबान बुजुर्ग
होने से क्या होता है
……
मौन-निद्रा-जागरण के
स्वप्न-सुसुप्ति-तुरीय में
स्वप्न-सुसुप्ति-तुरीय में
जो कुछ भी है
है तुम्हारी ही स्मृतियाँ।
है तुम्हारी ही स्मृतियाँ।
जहाँ मैं तठस्थ हो
बेलौस-बेबाक कहता हूँ
बेलौस-बेबाक कहता हूँ
हाँ प्रेम स्पंदित है
आशान्वित प्रतीक्षा में।
आशान्वित प्रतीक्षा में।
……
जिधर भी देखु
इक आस बधती
कुछ देर ठहरु
इक मोह बधती
सजदे में झुकु
इक फूल खिलती
इक तितली उडती
इक आकाश बनता ..
इक तितली उडती
इक आकाश बनता ..
……
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