रक्तांचल 2 में काशी के कलाकार
'रक्तांचल' वेब सीरीज का यह दूसरा सीजन है। जिसे MX प्लेटफॉर्म पर आप देख रहे होंगे या देखेंगे। पहले सीजन में ही पूर्वांचल के लोगों को यह सीरीज बहुत पसंद आई थी। खासकर युवा दर्शकों ने खूब पसंद किया और करेंगे भी क्यों न। जो कलाकार उसमें अभिनय कर रहें हैं उनका अभिनय तो बेहतर है ही, साथ ही इस अंचल के चिरपरिचित चेहरे हैं।
'रक्तांचल' की कहानी 1984 से शुरू होती है जब गांव के सीधा-सादे और आईएएस बनने की इच्छा रखने वाले विजय सिंह (क्रांति प्रकाश झा) के पिता की हत्या गैंगस्टर वसीम खान (निकितन धीर) के गुंडे कर देते हैं। इसके बाद अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए विजय सिंह पढ़ाई-लिखाई छोड़कर क्राइम की दुनिया में उतर जाता है। वक्त के साथ विजय सिंह की ताकत में इतना इजाफा होता है कि वह सीधे वसीम खान के वर्चस्व को चैलेंज करने लगता है। इन दोनों के गैंगवार से पूर्वांचल में खून की नदियां बहने लगती हैं जिसकी कहानी है 'रक्तांचल'।
रक्तांचल के पहले सीजन की तुलना में एक्शन कम दिखेगा। तब आप सोच रहे होंगे कि अब बचा क्या? अब बचा अभिनय। हां, अभिनय करते हुए आप कुछ बड़े कलाकारों को तो देखेंगे ही; साथ ही आपको खुशी होगी कि बनारस के कलाकारों ने भी उन मजे हुए कलाकरों के बीच अपनी छाप छोड़ी। हालांकि महानगर की पत्र पत्रिकाएं कुछ जाने माने चेहरों की ही बात करेंगे। पर पूर्वांचल के इन कलाकारों के अभिनय के बारे में एक हर्फ भी नहीं खर्च करेंगे। बजट नहीं है।
तब आइए कुछ कलाकरों के अभिनय की बात करते हैं। जिनमें से अधिकतर को आप अक्सर ही देखते हैं। बनारस में छोटी बड़ी या बॉलीवुड की किसी भी तरह की बनने वाली फ़िल्म में ये चेहरे आपको दिखेंगी ही। पर मीडिया उन पर बात ही नहीं करती। मेरा मानना है इन कलाकारों का भी कद उतना ही है, जितना कि बाहर से आये हुए कलाकारों की। खैर कोई न सही मैं ही सही।
रक्तांचल वेब सीरीज में चार खेमें दिखते हैं - आशीष विद्यार्थी, माही गिल, क्रांति प्रकाश झा और निकितन धीर की। इन्हीं अलग-अलग खेमों में आपको अमलेश श्रीवास्तव, सुधाकर मनी, अजय थापा, धन रतन, राज त्रिपाठी, अभिषेक पांडे, प्रिंस गौरव, मुन्ना पटेल, शुभम तिवारी, बाल मुकुंद, रोहिताश जायसवाल, उमेश भाटिया, देवेंद्र गुप्ता, राजेश तोमर आदि बनारस के प्रतिभा सम्पन्न अभिनेताओं के अभिनय आपके पलकों को झपकने से रोक लेगी।
बात शुरू करते हैं आशीष विद्यार्थी जी के संग जिन कलाकरों को आप पर्दे पर देखेंगे। वो हैं - Amlesh Srivastava और Sudhakar Mani। दोनों के अभिनय में आप परिपक्वता देख सकते हैं। दिखेगी भी क्यों न इन्होंने एक अरसा बिताया है रंगमंच पर। डीजल रेलवे कारखाने में काम करने वालों सदस्यों की ओर से बनाई गई नाट्य मंडली के ये स्तम्भ है। रंगमंच के अलावा सिनेमा में भी इन दोनों कलाकरों का योगदान रेखांकित करने योग्य है। #AshishVidyarthi जी के साथ कुछ दृश्य पत्रकारों के संग भी है। उन्हीं पत्रकारों में से एक किरदार Vijay Yadav भी है। Vijay Yadav वैसे तो साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल कर चके हैं। पर रंगकर्म में उतने ही गंभीर है। नाट्य में स्नातक विजय यादव ने खुद कई नाटक लिखें हैं, साथ ही मंचन भी किया है।
#NikitinDheer निकितन धीर या वसीम खान के खेमें में आपको अधिक कलाकार दिखेंगे। Abhishek Chandrabhushan Pandey , Munna Patel , Gaurav Prince जैसे कलाकरों को आप पहले सीजन से देख रहे हैं। अभिषेक पांडे ने अपनी शुरुआत रंगमंच से की। बादल सरकार के जीवन, दर्शन और नाटकों पर आधारित Docudrama में इंद्रजीत जैसे किरदार को जीवंत कर दिया था। उसके बाद से वो सिनेमा की ओर मुड़े। रक्तांचल के एकाधिक दृश्य में इनकी उपस्थिति तो है ही साथ ही प्रोडक्शन का भी काम सम्हाला है। गौरव प्रिंस को पहले सीजन में जितना स्पेस दिया गया था उतना इस सीजन में नहीं दिया गया। गौरव भी रंगमंच के कलाकार हैं और भारतेन्दु नाट्य अकादमी लखनऊ से इन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उसी अकादमी से शिक्षित मुन्ना पटेल को आप कई दृश्यों में देखते हैं। जैसे मुंबई से आये पुलिस ऑफिसर का पीछा करने वाले दृश्य को ही ले लीजिए।
Rohitash Jaiswal अपने पहले ही दृश्य से ध्यान आकर्षित करते हैं। उन्होंने एक ऐसे किरदार की छाया निर्मित कि है जिसे निर्देशक ने नहीं गढ़ा होगा। मेरा आकलन है। यह उनके अभिनय की क्षमता है। रोहिताश खुद एक निर्देशक हैं। उन्होंने वेब सीरीज 'लकीर' को निर्देशित ही नहीं किया बल्कि अभिनय भी किया था। इसके अलावा रंगकर्म उनका पहला प्यार है।
#rajeshtommer जैसे विशेष अभिनेता को देखना सुखद है। एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी के रूप में ये पहली ही नजर में जंचते हैं। सिनेमाई अभिनय के हर तत्व को इन्होंने जैसे साध रखा हो। राजेश उतने ही उम्दा रंगमंच के कलाकार हैं। बनारस के रंगकर्म का पूजनीय स्थल यानी नगरी नाटक मंडली के मंच पर इन्होंने जितने भी अभिनय किये वो अपने आप में अद्वितीय है।
Devendra Kumar Gupta जितने विनम्र इंसान हैं, उतने ही उम्दा कलाकार। इनको कोई अभी किरदार देकर आप निश्चिंत रह सकते हैं। ये आपको वो अभिनय देंगे जिसे निर्देशक ने सिर्फ कल्पना ही की होगी। एक कलाकार की सबसे अच्छी बात होती है सीखने की प्रवृत्ति। जो इनमें अब भी है। अपने हर अभिनय के बाद उस पर गौर करते हैं। की गई चूक से सबक लेते हैं। इस सीजन के दो दृश्यों में इन्हें देखकर कह सकते हैं कि ऐसे कलाकार रहे तो फ्रेम दर फ्रेम दर्शक देखने को बाध्य होंगे, स्किप करना गुनाह मानेंगे।
Balmukund Tripathi बनारस के रंगमंचीय गतिविधियों में इनका नाम शीर्ष पर है। शुक्ष्म अभिनय की बात हो तो बालमुकुंद जी की बात करनी ही पड़ेगी। बालमुकुंद जी अभिनेता, निर्देशक, लेखक के रूप में एक स्थापित नाम है। ये ऐसे कलाकार हैं कि जहां भी खड़े होंगे उस दृश्य के परिवेश को स्पस्ट कर देंगे। रक्तांचल के इस सीजन में एक दृश्य ऐसा है, जहां वसीम खान ने कई विधायकों को एक गुप्त रिसोर्ट में नजर बन्द रखने के लिए अगवा किया। सीरीज को देखते हुए इस बात का खुलासा बाद में होना है। पर यदि आप इस दृश्य में विधायकों की टोली को बस से उतरते और एक ओर जाते हुए सिर्फ रोहिताश के पीछे बालमुकुंद जी के चाल पर गौर करें, मामला वहीं साफ हो जाएगा। बारीक अभिनय का नमून आपको मिल जाएगा।
वसीम खान के कुकर्म की अति और दुश्मनों की कारसाजी के चलते। उसके घर CBI की टीम उसे गिरफ्तार करने पहुंचती है। टीम की अगुआई Umesh Bhatia करते दिखते हैं। CBI ऑफिसर का कॉन्फिडेंस और तेवर इस कलाकार ने एक झलक में पेश कर दिया। भरी बज्म को श्मशान के सन्नाटे में बदल दिया। निकितन धीर के उस पहाड़ जैसी पर्सनालिटी के सामने वैसे भी कोई थोड़ी देर के लिए ठिठकेगा ही। फम्बल भी मार सकता है। पर उमेश के सिनेमाई अनुभव ने ही उन्हें इतना आत्मविश्वास से भर दिया है कि सामने कोई भी दिग्गज कलाकार हो वो आंख से आंख मिलकर अपना शॉट दे सकते हैं। और एडिटर उसे एडिट करने से पहले कई दफा सोचने को बाध्य होगा ही।
#KrantiPrakashJha के खेमे में आप Shubham Tiwari और Raj Tripathi जैसे कलाकार को देख पाते हैं। विजय सिंह जब अपने चाचा की अर्थी को एक वृद्ध का रूप धर कर कंधा देने को आगे बढ़ता है तो शुभम अपनी जगह छोड़ता है और राम नाम सत्य की पुकार लगाता है। शुभम ने अपना करियर एक मॉडल की तर्ज पर आरम्भ किया था। धीरे धीरे रंगमंच से सिनेमा की ओर अग्रसर है। राज त्रिपाठी बनारस का एक चर्चित नाम है 'बीज' शॉर्ट फिल्म कई जगह पुरस्कृत हुई है, जिसमें उन्होंने अभिनय किया है। विजय सिंह जब आशीष विद्यार्थि अभिनीत किरदार को दबोचने के लिए घात लगाता है, उस दृश्य में आप राज को देख सकते हैं।
#KaranPatel मुम्बई से पीछा कर रहा पुलिस अधिकारी जब विजय सिंह को ढूढने उसके क्षेत्र में आता है तब जिस रिक्से पर बैठता है। उसके रिक्से को खीच रहे जिस चालक को आप देख रहे हैं, वो अभिनेता आपको भरम में ले जाता है। आपको लगता होगा कि वो सच में रिक्सा चालक ही होगा। जाहिर है अभिनय का यह कमाल एक रँगकमी ही कर सकता। यह अभिनेता है Dhanratan Yadav एक समय प्रेरणा कला मंच की ओर से एक से बढ़कर एक क़िरदारों को मंच पर उतारा है।
Ajay Thapa प्रेरणा कला मंच से ही निकले हैं। नाटकों के लिए जिसके नाम विश्व रिकॉर्ड है। 36 घण्टे लगातार नाटक करते रहने का रेकर्ड। अजय को आप लगभग सभी फिल्मों में देखते रहे होंगे। हालांकि वो किरदार बहुत छोटे लगते होंगे पर इनके अभिनय के कारण ही महत्वपूर्ण बन जाते हैं। जैसे इस वेब सीरीज में एक दृश्य है। #MahiGill के घर के बाहर सैंकी आकर हुज्जत करता है, जिसे एक हवलदार आकर समझाता है। अजय थापा के उस स्वाभाविक अभिनय से आप रूबरू होते हैं।
कोई भी बड़ा महल छोटे छोटे ईंटो से जुड़कर ही बनता है। पर लोग बाग महल के बाहर जड़े रंगीन पत्थरों की तारीफ करते हैं। जबकि प्लास्टर की आड़ में छुपे ईंटों के बारे में जिक्र नहीं करते; जबकि महल उन्हीं के ऊपर खड़ी है। वैसे ही इन कलाकारों का जिक्र होना जरूरी है। इनकी भी मेहनत कुछ कम नहीं। मैं इन सभी कलाकारो को बधाई देता हूँ। साथ ही उनको भी जिनका जिक्र यहां नहीं हो सका। मौका मिला तो उनपर भी लिखूंगा।
बहुत अच्छा..
ReplyDeleteलिखना जारी रखें दादा.