प्रसंग : मिनर्वा थियेटर, कोलकाता



'मिनर्वा' नाम से पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में एक नाट्यगृह है। इस हॉल के आरम्भिक दौर में बंगाल के नाट्यविद गिरीश घोष, अमृत बसु, अर्धेन्दू शेखर मुस्तफी जैसे बड़े कलकोरों का जमावड़ा रहता था। नोटी बिनोदिनी के प्रयास से बनी स्टार थियेटर की प्रस्तुतयों से बड़ी प्रतिस्पर्धा रहती। एक बार स्टार थियेटर में चल रहे #द्विजेन्द्र लाल राय के नाटक को मिनर्वा के कलकोरों ने मात्र 5 दिन के अभ्यास पर उतार दिया। दोनो हॉल में एक ही नाटक चलने पर भी दर्शक का जमावड़ा किसी में कम न हुआ। किसी किसी ने दोनों हाल की प्रस्तुति को इसी उत्साह से देखा कि ये क्या करते हैं।

नाट्य सम्राट गिरीश चन्द्र घोष की एक काव्य रचना 'हल्दीघाटी का युद्ध' है। एक समय था जब सबकी जुबान पर ये उसी तरह से चढ़ा हुआ था, जिस प्रकार से हरिवंश राय बच्चन जी की 'मधुशाला'। स्टार थियेटर के सुयोग्य अध्यक्ष नाट्याचार्य अमृत बाबू, राणाप्रताप नाटक में गिरीश बाबू के उक्त कविता को विभिन्न पत्रों द्वारा युद्ध के वर्णन को व्यक्त करने के उद्देश्य से प्रयोग कर दिया। फिर क्या था, पहली प्रस्तुति होते ही नाट्य रचनाकार द्विजेन्द्र लाल राय ने अपने सारे सम्बन्ध स्टार से तोड़ लिए।



अपनी नाट्य कृति में किसी गैर की कविता भला क्यों सहन होती तिसपर बिना अनुमति के बर्दास्त क्यों करते द्विजेन्द्र लाल राय। अमृत लाल बसु द्वारा नाटक के साथ ऐसे व्यवहार से बहुत ही आहत महसूस कर रहे थे। उन्होंने न सिर्फ स्टार के संग अपने सारे सम्बन्ध विच्छेद ही नहीं किये बल्कि 'राणाप्रताप' नाटक का अभ्यास उसी पल आरम्भ किया और उसकी प्रस्तुति का दिन भी उसी हफ्ते के अंत तक करने का फैसला ले लिया, निर्णय लेते ही काम में जुट गए। प्रस्तुति 'मिनर्वा' में दी जाएगी। स्टार की दूसरी प्रस्तुति की निशा में ही मिनर्वा की राणाप्रताप प्रस्तुति का आरम्भ होना तय हुआ।

1905 की इस घटना जनित अभिमान से ही मिनर्वा थियेटर में द्विजेन्द्र लाल राय के नाट्य साम्राज्य का अभिषेक सम्पन्न हुआ। मिनर्वा के स्वर्णिम इतिहास में द्विजेन्द्र लाल राय के नाटकों ने अपनी मुहर लगाई।



राणाप्रताप

स्टार थियेटर
पहली अभिनय प्रस्तुति 22 जुलाई 1905। मुख्य भूमिकाओं में अमृतलाल मित्र, अमृतलाल बसु, नरीसुन्दरी, काशीनाथ चट्टोपाध्याय, अक्षय काली कोंगार, वसन्त कुमार।

मिनर्वा थियेटर
पहली अभिनय परक प्रस्तुति 29 जुलाई 1905।
प्रमुख भूमिकाओं में अर्धेन्दुशेखर मुस्तफी, अपरेशचंद्र मुखोपाध्याय, दानी बाबू, तारा सुंदरी, सुशीला बाला।

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