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Showing posts from October, 2012
                                         গান                                                                        পাখিদের  ঐ  পাঠশালাতে ; কোকিল  গুরু  শেখায়ে  গান ময়না  ভালো  গান শিখেছে ; শুনলে  পরে  জুড়ায়ে প্রান । বুলবুলির  ঐ  মিষ্টি গলা ;  তাইতো  সবাই ছুটে আসে চান্দনাবৌ  মনে মনে ;  বুলবুলিকেই  ভালবাসে । এই  কথাটি  জেনে ময়না  করলো ভারী অভিমান ।। আম গাছের ওই মগডালেতে ; আজকে ওদের জলসা হবে ময়না  টিয়ে   দোয়েল  ফিঙে; সকলি  আজ  গান  শ...

सारकारिना और अमर घोष

सारी तयारी  हो चुकी है......जीवन  की प्रमुख बातो का लेखा-जोखा तैयार किया  जा चूका है ........हर कोई ( संसद से समाचार माध्यम तक ) उन्हें सरे राह परोसने को ......बेचने को तैयार  .... बस इन्तजार है  .........उनके मौत की ....ज्यो ही वो अपनी आँखे मुन्देंगे । सभी अपनी-अपनी रोटियां  सकने में लग जायेंगे । साथ ही बाज़ार में जितनी जल्दी  हो सके बेचकर  दूसरी अंगीठी  के इंतजाम में जुट जायेंगे । यह  काम  हर एक के साथ दोहराया जा  रहे है ; हर उनके साथ  जिसने भारतीय शिल्प-कला-नाट्य  को नयी वांग्मय देने में अपनी सारी जिजीविषा लगा दी । वर्तमान में रंग-पुरोधा अमर घोष को रंग समाज की कृतघ्नता का शिकार होना पर रहा है। अमर घोष भारतीय रंग मंच के ऐसे रंगकर्मी है; जिन्होंने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया । अपना सब कुछ । पेशेवर रंग मंच की चाह ने उनका सब कुछ छीन लिया । सार्कारिना  जैसे विलक्षण रंगमंच का निर्माण उन्होंने इसी सपने को साकार करने के उद्देश्य से...
जीवन की आपा- धापी में सब कब कैसे क्यूँ छुट जाता है .......