Posts

Showing posts from May, 2022

आज की फ़िल्म में आज का जीवन-मृणाल सेन

Image
 आज की फिल्म में आज का जीवन-मृणाल सेन मूल बंगला से हिंदी अनुवाद : जयदेव दास [रिज़र्व बैंक कर्मचारी संघ ने '74 के शुरुआती समय में एक  परिचर्चा आयोजित की। विषय: 'आज की फ़िल्म में आज का जीवन'। वक्ता: पशुपति चट्टोपाध्याय, बिमल भौमिक, धृतिमान चट्टोपाध्याय, शमिक बंद्योपाध्याय और मृणाल सेन। सबसे पहले वक्ताओं ने अपना वक्तव्य रखा। फिर दर्शकों के गरमागरम, उत्तेजक और धधकते सवालों का जवाब दिलचस्पी के साथ दिए। पशुपति चटर्जी, बिमल भौमिक और धृतिमान चटर्जी के बाद मृणाल सेन ने अपना पक्ष रखा। जो चित्रबिक्षण पत्रिका के मार्च-अप्रैल '84 और मई-जून '84 अंक में प्रकाशित हुआ था हममें से तीन ने परिचर्चा का एक घण्टा अपने वक्तयों को रखने में गुजार दिया, ऐसे में बाकी बचे हम दोनों अगर कुछ ना भी कहें तो चलेगा। प्रत्येक को सात मिनट कहना था। इसके अलावा, एक और समस्या है, मैंने यहां आकर जो कुछ भी कहने के लिए संजोया था, उनमें से दो-चार पॉइंट पशुपतिबाबू ने पहले ही कह दिया। उसके बाद दो और लोगों ने कहा, जिनमें बहुत सी चीजें कवर हो गईं। शमिक ने अभी तक कुछ नहीं कहा है, शमिक ने कहा होता तो कहने को कुछ रह ही...